रविवार, 16 अगस्त 2009

रियायत होगी ...........

रियायत होगी ...........



अभी मै चुप हूँ तो इसको तू गनीमत जान,
जुबां जो खुल गयी तो आज ही क़यामत होगी ,
बड़ी बेरहम है ये कमबख्त ज़ुबां मेरी ,
गर सच बयाँ कर दे तो पहली आपको ही शिकायत होगी ,
गर मै सच बयाँ नहीं करता तो तुम समझ लेना ,
इसके लिए भी तेरी ही हिदायत होगी ,
लालच में हूँ ये सुनकर कि तेरी कफ़न की दूकान है ,
तो चलो ज़नाजे के वक़्त कुछ तो रियायत होगी ..........
तू खुदा है, मै खुदा नहीं एक इंसान हूँ मै ,
कुछ वज़ह है जो इतना परेशान हूँ मै ,

ईमान की खातिर ही उस दिन बेईमानी कर ली,
ईमान ना रहा तो अब बेईमान हूँ मै,

रिश्तों की अहमियत को मै समझ न पाता,
पर वो भी नहीं समझा तो हैरान हूँ मै,

माफ़ी की ख्वाहिशें थीं तो कुछ गलतियाँ कर ली,
माफी की छोड़ो आज फिर बदनाम हूँ मै,

गुनाहों के अँधेरे में अब जा सो जा सहर,
कोई किरण भी आयेगी तो अनजान हूँ मै.

गलतियाँ खुदा नहीं इन्सान से ही होतीं हैं,
फिर उसने क्यों समझा की भगवान हूँ मै,

शिवा नन्द सहर की कुछ यांदें ग़ज़ल में : सहर कवि शिवा